फेफड़े ख़राब होने से पहले शरीर देता है यह संकेत पता नही चला तो मौत पक्की

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हमारी शारीरिक कार्यप्रणाली में किसी भी तरह का बदलाव देखते ही हमें पता चल जाता है कि हमारे फलां अंग में किसी तरह की समस्या है। जैसे- यूरीन का रंग पीला देखते ही हम समझ जाते हैं हमारी किडनी ठीक नहीं। इसी तरह छाती में दर्द से पता चल जाता है कि दिल में कुछ तो गड़बड़ है लेकिन क्या हमारे फेफड़ों के साथ भी यही स्थिति है? रेस्पिरेटरी फेलियर को हिंदी में ‘श्वासरोध’ कहा जाता है। यह फेफड़ों की एक बीमारी है। यह बीमारी तब होती है जब फेफड़ों के अंदर मौजूद हवा की छोटी-छोटी थैलियों में द्रव भर जाता है। ऐसा होने पर आपके फेफड़े खून में ऑक्सीजन नहीं छोड़ पाते हैं। इसके परिणामस्वरूप शरीर के अंगों को सही से काम करने के लिए जरुरी ऑक्सीजन युक्त खून नहीं मिल पाता। फेफड़ों की यह बीमारी तब भी हो सकती है जब फेफड़े आपके खून से कार्बन डाइऑक्साइड गैस सही से निकाल नहीं पाते। खून में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की अधिक मात्रा आपके शरीर के अंदरुनी अंगों के लिए हानिकारक हो सकती है।

अगर आप टहलते हुए, सीढ़ियां चढ़ते हुए या फिर कोई छोटा-मोटा श्रम करते हुएं हांफने लगते हैं तो इसका मतलब है कि आपके फेफड़ों में सब कुछ सही नहीं है। कई बार तो ऐसा होता है कि बिस्तर पर लेटे-लेटे भी सांस फूलने लगती है। यह फेफड़े की किसी गंभीर समस्या के लक्षण हैं। अगर ठीक समय पर इलाज न कराया जाए तो इससे सांस संबंधी गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।

बीमारी शुरुआत में एक्स-रे से पकड़ में नहीं आती। सटीक जांच सिर्फ हाई रिजोल्यूशन सीटी थोरेक्स से संभव है। पीएफटी (पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट) से कुछ हद तक पता लग सकता है क्यों कि लक्षण दमा से ठीक विपरीत आते हैं।

अगर हमारी साँस फूलने लगती है तो इसका मतलब ये है की आपके फेफड़े सही नहीं है। बहुत ज्यादा बलगम बनना यानि खासते वक्त ज्यादा कंप आना फेफड़े ख़राब होने का लक्षण है। अगर आपकी छाती में दर्द होता है तो आप समझ लो की हमारे फेफड़े सही नहीं है। अगर आपको सांस लेने में तकलीफ या फिर लगातार खांसी आती है तो भी आपके फेफड़े सही नहीं है।

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