गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व ये काम जरूर कर लें

  • गर्भवती होते ही महिला को अपना पंजीकरण उप स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र /  प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र पर करवा लेना चाहिए।
  • गर्भावस्‍था में कम से कम तीन बार चिकित्‍सक /  स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता (महिला) से जांच करवा लेनी चाहिए।
  • गर्भावस्‍था में खतरे के संकेत जैसे रक्‍तस्‍त्राव,  गर्भ का हिलना-डुलना बन्‍द होना,  उक्‍त रक्‍तचाप,  चेहरे और पैरो में सूजन,  खून की कमी (हिमाग्‍लोबीन 7 प्रतिशत से कम),  एक महिने में 3 किलो से अधिक वजन बढ जाना,  145 सेंमी,  से छोटे कद की स्‍त्री,  पहले सीजेरियन ऑपरेशन और मातृ शिशु का जन्‍म आदि नजर आते ही तुरन्‍त चिकित्‍सक से सम्‍पर्क कराना चाहिए।
  • चिकित्‍सक / महिला स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता द्वारा बताये अनुसार आयरन फोलीक एसिड की एक गोली नियमित रूप से 100 दिन तक आवश्‍यक रूप से खानी चाहिए।
  • धनुषबाय खतरनाक रोग है जो माता एवं बच्‍चें दोनो के लिये प्राणघातक हो सकता अतः पंजीकरण के समय एवं एक माह बाद टिटनेस का टीका अवश्‍य लगवाना चाहिए।
  • गर्भ में पल रहे बच्‍चें की वृद्वि के लिये गर्भवती स्‍त्री को सामान्‍य से अधिक भोजन करना चाहिए गर्भावस्‍था में जो माताऍं ठीक से खाना नहीं ले पाती है उन्‍हे प्रसुति के समय कई समस्‍याओं का सामना करना पडता है एवं बच्‍चें का वजन भी निर्धारक मानक 2.5 किलोग्राम से कम होता है। अतः गर्भवती महिलाओं को अपने आहार में दाल,  अण्‍डा,  मांस, मछली,  पालक,  हरी सब्जियॉं,  दूध,  घी आदि का पर्याप्‍त मात्रा में शामिल करना चाहिए।
  • गर्भवती स्‍त्री को समुचित विश्राम की आवश्‍यकता होती है। उसे भारी काम नहीं करना चाहिए।

Leave a Comment